July 27, 2024
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डीएम द्वारा लोक शिकायत एवं सेवा शिकायत के 22 मामलों की सुनवाई एवं समाधान किया गया

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एक लोक प्राधिकार के विरूद्ध 2,500/- रुपये का दंड तथा एक अन्य लोक प्राधिकार का वेतन स्थगित रखने का डीएम ने दिया निदेश

बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 एवं बिहार सरकारी सेवक शिकायत निवारण नियमावली, 2019 का सफल क्रियान्वयन प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता; सभी पदाधिकारी इसके लिए सजग, संवेदनशील तथा सक्रिय रहेंः डीएम

पटना, शुक्रवार, दिनांक 15 सितम्बर, 2023ः जिलाधिकारी, पटना डॉ. चंद्रशेखर सिंह द्वारा आज अपने कार्यालय-कक्ष में बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 के तहत द्वितीय अपील में तथा बिहार सरकारी सेवक शिकायत निवारण नियमावली, 2019 के तहत प्रथम अपील में शिकायतों की सुनवाई की गयी और उसका निवारण किया गया। लोक शिकायत निवारण में लापरवाही बरतने के आरोप में एक लोक प्राधिकार के विरूद्ध 2,500 रूपया का अर्थदंड लगाया गया तथा एक अन्य लोक प्राधिकार का वेतन मामले का समाधान होने तक स्थगित रखने का निदेश दिया गया।

डीएम डॉ. सिंह द्वारा आज लोक शिकायत एवं सेवा शिकायत के कुल 22 मामलों की सुनवाई की गई। 16 मामलो का ऑन द स्पॉट निवारण किया गया तथा छः मामलो में अंतरिम आदेश पारित किया गया।

दरअसल अपीलार्थी श्री गौरी शंकर पंडित, पताः मेन रोड, उत्तरी संगत, फुलवारी शरीफ द्वारा जिलाधिकारी के समक्ष लोक शिकायत निवारण हेतु द्वितीय अपील में वाद दायर किया गया था। अपीलार्थी की शिकायत दाखिल-खारिज पुनरीक्षण वाद के न्याय निर्णय के आलोक में जमाबंदी बहाल करने तथा भू-लगान रसीद निर्गत करने के संबंध में है। आवेदक द्वारा अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण कार्यालय, पटना सदर में दिनांक 20.09.2022 को ही परिवाद दायर किया गया था। जिलाधिकारी ने सुनवाई में पाया कि लोक प्राधिकार अंचल अधिकारी, फुलवारी शरीफ द्वारा लगभग एक साल में भी आवेदक के परिवाद के निवारण हेतु कोई ईमानदार एवं सार्थक प्रयास नहीं किया गया है। उनका प्रतिवेदन भी संतोषजनक नहीं है। विगत सुनवाई में जिलाधिकारी द्वारा दिए गए निदेश के आलोक में भूमि सुधार उप समाहर्ता, पटना सदर द्वारा जाँचोपरांत प्रतिवेदित किया गया कि अपर समाहर्त्ता, पटना के न्यायालय में दाखिल-खारिज पुनरीक्षण वाद में पारित आदेश जमाबंदी रद्दीकरण का प्रस्ताव खारिज होने के पश्चात अंचल अधिकारी, फुलवारीशरीफ द्वारा अनुपालन नहीं किया गया था।

भूमि सुधार उप समाहर्ता द्वारा जाँचोपरांत अंचल अधिकारी को जमाबंदी पुनर्जीवित करने हेतु निदेशित किया गया। इसके आलोक में अंचल अधिकारी द्वारा जमाबंदी ऑनलाइन करने हेतु अभिलेखीय प्रस्ताव भूमि सुधार उप समाहर्त्ता को भेजा गया। भूमि सुधार उप समाहर्त्ता द्वारा जमाबंदी ऑनलाइन करने हेतु अनुमति प्रदान की गयी। जिलाधिकारी ने सुनवाई में पाया कि इसके बाद भी जमाबंदी पंजी के प्रति में प्लॉट/खेसरा शून्य ही अंकित है जबकि खाता, रकवा एवं चौहद्दी लिखा हुआ है। डीएम ने कहा कि अभिलेखों एवं प्रतिवेदन के अवलोकन से यह प्रतीत होता है कि अंचल कार्यालय की मंशा सही नहीं है। आवेदनकर्त्ता को अनावश्यक परेशान किया जा रहा है। अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी द्वारा भी लोक प्राधिकार के विरूद्ध प्रतिकूल टिप्पणी की गयी है। जिलाधिकारी ने कहा कि किसी भी अधिकारी का यह व्यवहार लोक शिकायत निवारण की मूल भावना के प्रतिकूल है। लोक प्राधिकार के इस कार्यशैली से आवेदक की समस्या का इतने दिनों में भी समाधान नहीं हो सका है। उन्होंने कहा कि यह उनकी स्वेच्छाचारिता, शिथिलता तथा संवेदनहीनता को प्रदर्शित करता है।जिलाधिकारी द्वारा इन आरोपों के कारण लोक प्राधिकार अंचल अधिकारी, फुलवारी शरीफ के विरूद्ध 2,500 रूपये का अर्थदंड लगाया गया। साथ ही सुनवाई की अगली तिथि दिनांक 06 अक्टूबर, 2023 को ऑनलाइन जमाबंदी में खेसरा को नियमानुसार अंकित एवं परिवादी के शिकायत का विधि-सम्मत निवारण करते हुए स्पष्ट प्रतिवेदन के साथ उपस्थित रहने का निदेश दिया गया।

अपीलार्थी श्री उत्तम पाण्डेय, सेवानिवृत लिपिक-सह-नाजिर, अंचल कार्यालय बख्तियारपुर द्वारा जिलाधिकारी के समक्ष सेवा शिकायत मामले में प्रथम अपील में परिवाद दायर किया गया था। उनकी शिकायत सेवांत लाभ प्रदान नहीं किए जाने से संबंधित है। जिलाधिकारी द्वारा पूर्व की सुनवाई दिए गए आदेश के आलोक में गठित समिति द्वारा समर्पित प्रतिवेदन के आधार पर अंचल अधिकारी को परिवादी को भविष्य निधि की लंबित राशि का भुगतान करने तथा पेंशन प्रपत्र एवं मूल सेवापुस्त महालेखाकार कार्यालय को भेजने का निदेश दिया गया था। फिर भी लोक प्राधिकार अंचल अधिकारी, बख्तियारपुर द्वारा इस मामले में कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया। आज की सुनवाई से भी वे अनुपस्थित थे। इस पर गंभीर आपत्ति व्यक्त करते हुए जिलाधिकारी द्वारा अंचल अधिकारी, बख्तियारपुर का इस मामले का समाधान होने तक वेतन स्थगित रखने एवं उनसे कारण-पृच्छा करने का निदेश दिया गया। साथ ही अंचल कार्यालय के स्थापना लिपिक का भी वेतन अवरूद्ध रखने का निदेश दिया गया। जिलाधिकारी ने कहा कि यदि अंचल अधिकारी का स्पष्टीकरण स्वीकार योग्य नहीं होगा तो उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए प्रपत्र ‘क’ गठित कर विभाग को प्रतिवेदित कर दिया जाएगा। इसके साथ अंचलाधिकारी को दिनांक 13 अक्टूबर, 2023 को निर्धारित सुनवाई में कृत कार्रवाई प्रतिवेदन के साथ उपस्थित रहने का निदेश दिया गया। इसमें जिला स्थापना उप समाहर्ता भी प्रतिवेदन के साथ उपस्थित रहेंगे।

सेवा शिकायत के एक अन्य मामले में परिवादी श्री रामप्रवेश प्रसाद, शिक्षक, प्राथमिक विद्यालय सीताराम बागी, पंडारक द्वारा वरीयता क्रम/पद सोपान का उल्लंघन कर कनीय शिक्षक को विद्यालय का प्रभार सौपने के विरूद्ध जिलाधिकारी के समक्ष प्रथम अपील में वाद दायर किया गया। डीएम डॉ. सिंह ने सुनवाई में पाया कि प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी, पंडारक द्वारा दिया गया दोनों प्रतिवेदन विरोधाभाषी है। इस पर जिलाधिकारी ने खेद व्यक्त करते हुए जिला शिक्षा पदाधिकारी को निदेश दिया कि वे सम्पूर्ण मामले की समीक्षा करते हुए प्रावधानों के आलोक में नियमानुसार कार्रवाई कर आवेदनकर्त्ता के परिवाद का निवारण करते हुए अगली सुनवाई से पहले स्पष्ट प्रतिवेदन समर्पित करेंगे। साथ ही विरोधाभाषी प्रतिवेदन देने वाले अधिकारी के विरूद्ध स्पष्टीकरण करते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई करेंगे।

डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि लोक शिकायतों एवं सेवा शिकायतों का ससमय तथा गुणवत्तापूर्ण निवारण अत्यावश्यक है। लोक प्राधिकारों को तत्परता प्रदर्शित करनी होगी।

डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 एवं बिहार सरकारी सेवक शिकायत निवारण नियमावली, 2019 का सफल क्रियान्वयन प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। सभी पदाधिकारी इसके लिए सजग, संवेदनशील तथा सक्रिय रहें।

डीपीआरओ, पटना

अकबर ईमाम एडिटर ईन चीफ

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