December 7, 2024
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तीन दिवसीय – बिहार डाक टिकट प्रदर्शनी “BIPEX-2024” का दूसरा दिन विश्व के प्रथम डाक टिकट ताम्र टिकट को देखने के लिए उमड़ी भीड़

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वेद और उपनिषद पर विशेष आवरण का विमोचन बिहार के शक्तिपीठ पर पिक्चर पोस्टकार्ड का अनावरण

डाक टिकट प्रदर्शनी में आकर सेल्फी खिचवायें और आकर्षक इनाम जीतें

विश्व के प्रथम डाक टिकट ताम्र टिकट को देखने के लिए उमड़ी भीड़

पेन्नी ब्लैक एवं सिन्ड डौक टिकट के साथ सेल्फी लेने वालों की होड़

माय स्टाम्प काउंटर से अपना अथवा अपने प्रियजन पर डाक टिकट जारी कराएँ

पोस्ट शोपी काउंटर से डाक घर की विशेष वस्तुओं को पायें

फिलाटेली सेमिनार में आकर टिकट संग्रहण के गुर्गों को सीखें

AR-VR के तकनिकी के द्वारा टिकटों की डिजिटल दुनिया देखने का आनंद लें

आज दिनांक 29-11-2024 को ज्ञान भवन पटना में भारतीय डाक विभाग की ओर से आयोजित तीन दिवसीय बिहार डाक टिकट प्रदर्शनी BIPEX-2024 के भव्य आयोजन के दूसरे दिन के कार्यक्रम का प्रारंभ उद्घाटनकर्ता श्री श्रवण कुमार, माननीय मंत्री ग्रामीण विकास, बिहार सरकार एवं अन्य विशिष्ट अतिथियों के आगमन के साथ हुआ। उद्धतानकर्ता, मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर दुसरे दिन के कार्यक्रम का विधिवत श्रीगणेश किया गया। श्री मनोज कुमार, पोस्टमस्टर जनरल पूर्वी प्रक्षेत्र भागलपुर के द्वारा मुख्य अतिथि एवं सभी विशिष्ट अतिथियों का स्वागत संबोधन किया गया एवं डाक विभाग के द्वारा आम जनो के लिए दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में संक्षेप में जानकारी दी गयी।

श्री श्रवण कुमार, माननीय मंत्री, ग्रामीण विकास, बिहार सरकार ने डाक विभाग के द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं के लिए पुरे विभाग को धन्यवाद दिया एवं समाज के विकास के लिए किये जाने वाले इस प्रकार के प्रदर्शनी की जम कर तारीफ की। उन्होंने कहा कि वे डाकघर से बहुत करीब से जुड़े हुए है एवं इसकी सुविधाए वास्तव में इस प्रकार लगती है कि किसी कार्यालय के द्वारा नहीं बल्कि घर की सुविधाये है। उन्होंने यह भी बताया कि यदि किसी भी नेक कार्य को मन से किया जाये तो सफलता जरुर मिलती है।

विलीन होती परम्पराओं को पुनः जीवित करने के लगातार पहल के लिए उन्होंने डाक विभाग की सराहन की। लेखन की कला के सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि हमें अपने कला को निखारने के लिए बहुत परिश्रम करना चाहिए कंप्यूटर एवं मोबाइल का प्रयोग केवल आवश्यकता पर ही करना चाहिए उन्हें अपने कला पर कभी हावी नहीं होने देना चाहिए। उन्होंने यह भी इच्छा जारी की कि विभाग नालंदा के गिलास ब्रिज पर भी डाक टिकट जारी करे। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री डॉक्टर सहजानंद प्रसाद सिंह का भी गरिमायी उपस्थिति रही…

मुख्य अतिथि आचार्य किशोर कुनाल ने भी डाक विभाग के द्वार दी जाने वाली सुविधाओं को सराहा तथा विभाग द्वारा सनातन धर्म की विशेषताओं को प्रमाणिकताओं के साथ आगे बढ़ाने के किये धन्यवाद दिया। उन्होंने हमारे प्राचीन वेद और उपनिषद के वर्तमान समय में वैज्ञानिक पहलुओं की भी चर्चा की तथा बताया की आज विश्व के कई देशों में इन पर लगातार शोध हो रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि वेड उपनिषदों के अनेकों रचनाओं का उद्गम हमारे बिहार ही रहा है। गायत्री मंत के रचयिता महर्षि विश्वामित्र बिहार के ही है।

इसके पश्चात माननीय मंत्री महोदय, मुख्य अतिथि आचार्य किशोर कुनाल एवं उपस्थित अन्य विशिष्ट अतिथियों के द्वारा वेद और उपनिषद पर विशेष आवरण का अनावरण किया गया। तत्पश्चात विश्व के कुल 51 शक्ति पीठों में से बिहार में अवस्थित 9 शक्तिपीठ पर पिक्चर पोस्टकार्ड का विमोचन किया गया । कार्यक्रम की शोभा को श्री नवनीत रंजन, निदेशक मेडीवर्सल हॉस्पिटल, पटना, प्रोफेसर राकेश कुमार सिंह, वाईस चांसलर, पाटलिपुत्र महाविद्यालय, पटना; श्री निलेश आर देवरे, सचिव नागरिक उड्डूयन, श्री प्रदीप जैन फिलाटेलिस्ट; जैसे हस्तियों ने बढ़ाया।

इस प्रदर्शनी परिसर में आगंतुकों को सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से डाक विभाग द्वारा विभाग एक अस्थायी डाकघर खोला गया है जिसमे डाक विभाग द्वारा प्रदान जी जाने वाली सुविधाएं उपलब्ध है। डाक विभाग द्वारा एक फिलेटली काउंटर भी खोला गया है जहां लोग फिलेटली डिपॉजिट अकाउंट खुलवा सकते हैं, माय स्टांप बनवा सकते हैं, डाक टिकट खरीद सकते है। इसके अतरिक्त डाक विभाग द्वारा एक पोस्ट शॉपी का काउंटर भी लगाया गया है जहां आम जरूरत की बहुत सारी वस्तुएं जैसे गंगोत्री का गंगा जल ग्राहकों के लिए एक ही छत के नीचे उपलब्ध हैं। इसके अलावे बहुत सारे महत्वपूर्ण एवं स्थानीय कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बहुत सारे बहुत सारे काउंटर लगाए गए हैं।

विभाग की ओर से प्रदर्शनी स्थल पर सेल्फी पॉइंट भी बनाया गया है तथा घोषणा की गयी है कि प्रदर्शनी के दौरान जिनकी सेल्फी को सबसे ज्याद लाइक मिलेगा उन्हें विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा।

वेद और उपनिषद वेद हिंदू धर्म के सबसे प्राचीन पवित्र ग्रंथ हैं, जिनमें चार मुख्य संग्रह शामिल हैं ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद। इनमें मंत्र, अनुष्ठान और दार्शनिक शिक्षाएँ शामिल हैं। वेदों में अनुष्ठान, मंत्रों का जाप और यज्ञों पर बल दिया गया है, जो मनुष्यों को दिव्य शक्ति से जोड़ते हैं और हिंदू आध्यात्मिक साधनाओं आधारशिला के रूप में कार्य करते हैं।

उपनिषद दार्शनिक ग्रंथ हैं जो वेदों के आध्यात्मिक सार का अन्वेषण करते हैं, और ध्यान, नैतिकता तथा परम सत्य के स्वरूप पर केंद्रित हैं। उपनिषद, जो बाद में लिखे गए थे, बाहरी अनुष्ठानों से हटकर आंतरिक आध्यात्मिक ज्ञान पर केंद्रित होते हैं और आत्मा तथा उसके मानव के साथ एकत्व जैसे सिद्धांत सिखाते हैं। वेदों और उपनिषदों का बिहार से गहरा संबंध है। वेदों और उपनिषदों में बिहार के प्रमुख नदियों गंगा, गंडक, सोन और मगध क्षेत्र जैसे स्थानों का उल्लेख है। लौरिया, चिरांद आदि में पाई जाने वाली बस्तियों वैदिक काल से चली आ रही हैं। बिहार में कुछ उल्लेखनीय वैदिक और उपनिषद स्थल हैं जिसमें नालंदा, विक्रमशिला, पाटलिपुत्र और मिथिला शामिल हैं। इसके अलावा माना जाता है कि कई उपनिषदों की रचना और संकलन बिहार में ही हुआ है जिसमें खासकर नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय शामिल हैं। बिहार में आर्यभट्ट (वैदिक) और आदि शंकर (उपनिषद) जैसे कई वैदिक विद्वानों जन्म हुआ

है। वेद और उपनिषद मिलकर एक व्यापक आध्यात्मिक और दार्शनिक ढांचा बनाते हैं, जो भारतीय दर्शन और आध्यात्मिक परंपराओं की नींव को आकार देते हैं।बिहार के शक्तिपीठ माँ बड़ी पटन देवी, जिन्हें माँ पटनेश्वरी भी कहा जाता है, पटना, बिहार के सबसे प्राचीन और पवित्र मंदिरों में से एक हैं। पुराणों की कथाओं के अनुसार, देवी सती के शव का ‘दाहिना जांघ’ यहाँ गिरा था, जब उसे भगवान विष्णु ने अपने ‘सुदर्शन चक्र’ से काटा था। इस प्राचीन मंदिर, जिसे मूल रूप से माँ सर्वानंद कारी पटनेश्वरी कहा जाता था, को देवी दुर्गा का निवास स्थान माना जाता है।

माँ छोटी पटनदेवी, बड़ी पटनदेवी से तीन किलोमीटर दूर हाजीगंज क्षेत्र में है। यह भी एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सती का पट और वस्त्र यहीं गिरे थे। जहां वस्त्र गिरा था, वहां एक मंदिर बनाया गया और महालक्ष्मी, महाकाली और महासरस्वती की मूर्तियां स्थापित की गईं।

माँ शीतला देवी, बिहारशरीफ से पश्चिम एकंगरसराय मार्ग पर मघरा गांव में पुराना शीतला मंदिर एक उल्लेखनीय शक्तिपीठ है। बताया जाता है कि यहां सती के हाथ का कंगन गिरा था। यह मंदिर त्योहारों के दौरान अपने रंगारंग उत्सव के लिए जाना जाता है।

माँ मंगला गौरी, गया-बोधगया मार्ग पर भस्मकुट पर्वत के ऊपर मां मंगला गौरी मंदिर एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। कहा जाता है कि यहां

देवी सती का स्तन गिरा था। मंदिर की ऊंचाई अधिक होने के कारण चट्टानी क्षेत्र को सीढ़ी की तरह बनाया गया है। यह मंदिर माँ गौरी (पार्वती) को समर्पित है, जिन्हें मंगलकारी देवी के रूप में पूजा जाता है। इस पीठ को साधुओं द्वारा ‘पालनपीठ’ के नाम से जाना जाता है।

माँ चामुंडा देवी, नवादा-रोह-कौआकोल मार्ग पर रूपौ गांव में स्थित चामुंडा मंदिर एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। कहा जाता है कि यहाँ देवी सती का सिर कट कर गिरा था। इस मंदिर में देवी चामुंडा की एक पुरानी मूर्ति है।

माँ ताराचंडी, सासाराम से 6 किलोमीटर दूर कैमूर पहाड़ी की गुफा में ताराचंडी मां का मंदिर है। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से है। परशुराम ने भगौती नाम की एक छोटी लड़की का रूप धारण किया और राजा सहस्त्रबाबू पर विजय प्राप्त की। इसी बालिका से माता का नाम ताराचंडी देवी पड़ा।

माँ चंडिका देवी, मुंगेर जिले में गंगा तट पर स्थित मां चंडिका देवी का मंदिर एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। यहां माता सती की दाहिनी आंख गिरी थी। मुख्य मंदिर में सोने से बनी एक आँख स्थापित है।

उग्रतारा शक्तिपीठ, उग्रतारा शक्तिपीठ सहरसा से 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां देवी सती की बार्थी आँख गिरी थी। महर्षि वशिष्ठ ने यहां चिनाचार विधि से देवी की कठोर उपासना की थी। मंदिर में स्थापित भव्य बौद्ध तारा की मूर्ति पाल कालीन है।

अंबिका भवानी, अंबिका भवानी मंदिर एक प्राचीन धार्मिक स्थल है जो छपरा-पटना प्रमुख मार्ग पर आमी के पास स्थित है। भारत में एक ऐसा मंदिर है जिसमें कोई मूर्ति नहीं है। इसे देवी सती के जन्मस्थान और अंतिम विश्राम स्थल के रूप में जाना जाता है। दुर्गा सप्तशती के अनुसार राजा सुरथ ने भगवती की पूजा यहीं की थी।

कादिर खान वरिष्ठ पत्रकार

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