गंगा-जमनी तहजीब की मिसाल ‘वीर कुंवर सिंह की प्रेमकथा’ पुस्तक समाज का आईना हैः मुरली मनोहर श्रीवास्तव
1 min readपटनाः पटना पुस्तक मेला में प्रतिदिन आयोजित होने वाले ‘किस्सागोई’कार्यक्रम में लेखक मुरली मनोहर श्रीवास्तव ने अपनी चर्चित पुस्तक ‘वीर कुंवर सिंह की प्रेमकथा’ पुस्तक के मुख्य पात्र 1857 गदर के महानायक बाबू वीर कुंवर सिंह और आरा की मशहूर नर्तकी धरमन बाई के स्नेह और लगाव के साथ-साथ देशप्रेम को रेखांकित किया। उन्होंने यह भी बताया कि आखिर क्यों इस पुस्तक की हेडिंग वीरगाथा की जगह प्रेमकथा देनी पड़ी। इस संदर्भ में बताया कि बाबू साहब और धरमन के देशप्रेम को ही हर जगह वीरगाथा के रुप में निरुपित किया जाता है। वीर कुंवर सिंह की प्रेमकथा पुस्तक में उन सारे अनछुए पहलुओं को केंद्रित किया गया है जिसका आजतक जिक्र कहीं नहीं मिलता है। पुस्तक की रचना में अनेकों तथ्यों को जानने समझने के लिए रिसर्च किया और आज की तारीख में वीर कुंवर सिंह की वीरता ऐसी रही की उन्होंने बिहार के जगदीशपुर से निकलकर मध्य प्रदेश के काल्पी तक अंग्रेजों से लोहा लिया था। अपने बिहारी हथियार लाठी, डंडा, तलवार और गोरिल्ला युद्ध के बूते अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे। इतना ही नहीं 9 माह के लगातार युद्ध में 15 युद्ध लड़े थे और सबमें विजयी भवः रहे थे। इस युद्ध में उन्होंने धरमन और करमन बीबी को खोया तो अपने जान से ज्यादा प्रिय पोते वीरभंजन को भी खो दिया था, जो जगदीशपुर रियासत का आखिरी चिराग था। अगर असंगठित तरीके से 1857 में युद्ध नहीं हुआ होता तो आजादी उसी दौर में मिल गई होती।
मुरली मनोहर श्रीवास्तव ने इसके अलावे अपनी 2009 में आयी शहनाई सम्राट उस्ताद बिस्मिल्लाह खां, जज्बात (गजल संग्रह) पुस्तक की चर्चा तो की है। कोरोना के दौर में तैयार की गई ट्रैवलॉग स्टोरी ‘लॉकडाउन’ पुस्तक, जो शीघ्र आने वाली है तथा ‘कुरान’ का भोजपुरी अनुवाद भी कर रहे हैं।
अकबर ईमाम एडिटर इन चीफ